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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2804
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- बहसोली शैली के लघु चित्रों के विषय में आप क्या जानते हैं?

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. बहसोली शैली कहाँ पनपी ?
2. बहसोली शैली के लघु चित्रों के मुख्य विषय क्या थे?

उत्तर -

आदिकाल से अब तक कला अपने विभिन्न रूपों को प्रकट करती आई है जिसमें लघु चित्रण परम्परा का सम्पूर्ण विश्व में अलग स्थान है। इस सन्दर्भ में भारतीय लघु चित्र शैली के अतुलनीय प्राचीन चित्रों का वर्णन उल्लेखनीय है। लघु चित्र बड़ी तीव्रता से 15वी से 19वीं शताब्दी में भारत में बने। प्रारम्भ में लघु चित्रों का चित्रण ताड़पत्र भोजपत्र तथा बसली तैयार करके किया जाता था। 14वीं शताब्दी में कागज का प्रचलन होने से लघु चित्रों को कागज पर भी बनाया गया और साथ ही साथ लघु चित्रों का अंकन कपड़े पर भी किया जाने लगा। भारत में लघु चित्रण की विभिन्न शैलियाँ विकसित हुईं, जिनमें मुगल शैली, राजस्थानी शैली, पहाड़ी शैली तथा दक्षिणी शैली प्रमुख है।

पहाड़ी शैली 17वीं शताब्दी के आरम्भ में पंजाब और हिमाचल की सुरम्य घाटियों में पनपी । जिसमें इस शैली के उन्नत चित्र प्राप्त हुये थे । इन चित्रों में पहाड़ों का आत्मिक सौन्दर्य, वैभव और यौवन मुखरित था। 17वीं शती में चित्रकला के प्रति सम्राट औरंगजेब की उदासीनता और कट्टरता के कारण कलाकार आश्रय की खोज में पंजाब और जम्मू की पहाडियों के ठाकुर राजाओं की शरण में जा बसे और यहीं चित्र निर्मित किये। यह चित्र शैली पहाड़ी कलम के नाम जानी गई। पहाड़ी शैली की अनेक उपशैलियाँ भी विकसित हुई, जिनमें कांगड़ा, बसोहली, गुलेर, चम्बा, गढ़वाल आदि।

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बसोहली रावी नदी की घाटी में स्थित एक छोटी सी नगरी है। बसोहली राज्य की स्थापना भोगपाल ने 1765 ई० में की थी और बसोहली चित्र परम्परा का आरम्भ राजा कृष्णपाल के काल में हुआ था इसका सर्वोत्तम विकास राजा कृपाल पाल के शासन में हुआ । इन्होंने बसोहली कलम के विकास में तन-मन-धन से कार्य किया। इनके समय में भानुदत्त कृत एक सचित्र प्रति रसमजरी (1694-95 ई०) तैयार की गई। भारत कला देवीदास ने कृपालपाल के लिये किया था। इसके पश्चात राजा मेदनी पाल (1725-1736) व जित पाल (1736-57) ने प चित्र परम्परा को और अधिक पुष्ट किया।

प्राचीन काल से भारतीय लघु चित्र परम्परा साहित्य के साथ अभिन्न रूप से जुड़ी थी। जिसके फलस्वरूप रागमाला, बारहमासा, गीत गोविन्द, रसिक प्रिया, कवि प्रिया इत्यादि कोव्यों पर आधारित चित्र श्रृंखलाएँ निर्मित की गयी जो अपनी भाव योजना हेतु विश्व में प्रसिद्ध हुई । कलाकारों ने साहित्य में वर्णित अलौकिक अमूर्त भावनाओं को अपनी कार्य कुशलता और दक्षता से मूर्त रूप देकर दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया था। रसमंजरी एक महान शास्त्रीय संस्कृत भाषा में लिखित महाकाव्य के रूप में वर्णित है। रसमंजरी 15वीं शती के महत्वूर्ण- अभिलेखों में से है जिसके माध्यम से हमें तत्कालीन उच्च वर्ग के सामाजिक जीवन की झॉकी मिलती है। संस्कृत कवि भानुदत्त ने प्रेम की सूक्ष्म, उद्वेलित कोमल व दिव्य भावनाओं को प्राकृतिक के प्रभाव के साथ वर्णित किया है। इसमें नायक एवं नायिकाओं को कृष्ण और राधा के सक्षम मानते हुये उनके पारलौकिक प्रेम का वर्णन है। चित्रकारों ने नायक और नायिकाओ को राधा-कृष्ण के रूप में इसलियें चित्रित किया है क्योंकि यह आदर्श प्रेम व प्रेमिका का निर्वाह उन्हीं के द्वारा सम्भव मानते हैं। इस ग्रन्थ में शृंगार के दोनों पक्षों संयोग और वियोग रस की प्रधानता है तथा प्रकृति का सुरम्य, मनमोहक व अकल्पनीय वर्णन किया गया है।

इन रसमंजरी लघु चित्रों का संग्रह भारत एवं विदेशों में कई स्थानों पर संग्रहीत है, जिनमें डोगरा आर्ट गैलरी जम्मू, द म्यूजियम ऑफ फाइन आर्टस बोसटन, द विक्टोरिया एण्ड अल्बर्ट म्यूजियम लन्दन, व सेन्ट्रल म्यूजियम लाहौर, द चण्डीगढ़ म्यूजियम इत्यादि संग्रहालयों में रसमंजरी लघु चित्रों की शृंखला प्राप्त होती है।

लघु चित्रण शैली की यह प्राचीन परम्परा रही है कि वह काव्य के साथ सदैव जुडी रही । पहाड़ी शैली के लघु चित्र अपनी स्थानीय विशेषताओं के कारण अपने बाह्य स्वरूप में काव्यगत विशेषताओं को प्रकट करते हैं। काव्य की सूक्ष्म कल्पनाओं को कलाकार सदैव अपने अन्तर्गत की भावनाओं के साथ प्रस्तुत करते हैं। इन चित्रों में तत्कालीन जीवन के साथ-साथ कलाकार की व्यक्तिगत भावनाएँ उसकी दक्षता भी निहित होती है।

बसोहली शैली में निर्मित रसमंजरी का चित्रण भी इसी आधार पर किया गया।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पाल शैली पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  2. प्रश्न- पाल शैली के मूर्तिकला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला के बारे में आप क्या जानते है?
  3. प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- पाल शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  5. प्रश्न- अपभ्रंश चित्रकला के नामकरण तथा शैली की पूर्ण विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- पाल चित्र-शैली को संक्षेप में लिखिए।
  7. प्रश्न- बीकानेर स्कूल के बारे में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- बीकानेर चित्रकला शैली किससे संबंधित है?
  9. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताओं की सचित्र व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- राजपूत चित्र - शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  11. प्रश्न- बूँदी कोटा स्कूल ऑफ मिनिएचर पेंटिंग क्या है?
  12. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिये।
  13. प्रश्न- बूँदी कला पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- बूँदी कला का परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- राजस्थानी शैली के विकास क्रम की चर्चा कीजिए।
  16. प्रश्न- राजस्थानी शैली की विषयवस्तु क्या थी?
  17. प्रश्न- राजस्थानी शैली के चित्रों की विशेषताएँ क्या थीं?
  18. प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
  19. प्रश्न- राजस्थानी उपशैलियाँ कौन-सी हैं ?
  20. प्रश्न- किशनगढ़ शैली पर निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- किशनगढ़ शैली के विकास एवं पृष्ठ भूमि के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- 16वीं से 17वीं सदी के चित्रों में किस शैली का प्रभाव था ?
  23. प्रश्न- जयपुर शैली की विषय-वस्तु बतलाइए।
  24. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- किशनगढ़ चित्रकला का परिचय दीजिए।
  26. प्रश्न- किशनगढ़ शैली की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
  27. प्रश्न- मेवाड़ स्कूल ऑफ पेंटिंग पर एक लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मेवाड़ शैली के प्रसिद्ध चित्र कौन से हैं?
  29. प्रश्न- मेवाड़ी चित्रों का मुख्य विषय क्या था?
  30. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
  31. प्रश्न- मेवाड़ एवं मारवाड़ शैली के मुख्य चित्र कौन-से है?
  32. प्रश्न- अकबर के शासनकाल में चित्रकारी तथा कला की क्या दशा थी?
  33. प्रश्न- जहाँगीर प्रकृति प्रेमी था' इस कथन को सिद्ध करते हुए उत्तर दीजिए।
  34. प्रश्न- शाहजहाँकालीन कला के चित्र मुख्यतः किस प्रकार के थे?
  35. प्रश्न- शाहजहाँ के चित्रों को पाश्चात्य प्रभाव ने किस प्रकार प्रभावित किया?
  36. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  37. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- अकबरकालीन वास्तुकला के विषय में आप क्या जानते है?
  39. प्रश्न- जहाँगीर के चित्रों पर पड़ने वाले पाश्चात्य प्रभाव की चर्चा कीजिए ।
  40. प्रश्न- मुगल शैली के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अकबर और उसकी चित्रकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
  42. प्रश्न- मुगल चित्रकला शैली के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखिए।
  43. प्रश्न- जहाँगीर कालीन चित्रों को विशेषताएं बतलाइए।
  44. प्रश्न- अकबरकालीन मुगल शैली की विशेषताएँ क्या थीं?
  45. प्रश्न- बहसोली चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु क्या थी?
  46. प्रश्न- बसोहली शैली का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- काँगड़ा की चित्र शैली के बारे में क्या जानते हो? इसकी विषय-वस्तु पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- काँगड़ा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- बहसोली शैली के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  50. प्रश्न- बहसोली शैली के लघु चित्रों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  51. प्रश्न- बसोहली चित्रकला पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  52. प्रश्न- बहसोली शैली की चित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
  53. प्रश्न- कांगड़ा शैली की विषय-वस्तु किस प्रकार कीं थीं?
  54. प्रश्न- गढ़वाल चित्रकला पर निबंधात्मक लेख लिखते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइए।
  55. प्रश्न- गढ़वाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की व्याख्या कीजिए ।
  56. प्रश्न- गढ़वाली चित्रकला शैली का विषय विन्यास क्या था ? तथा इसके प्रमुख चित्रकार कौन थे?
  57. प्रश्न- गढ़वाल शैली का उदय किस प्रकार हुआ ?
  58. प्रश्न- गढ़वाल शैली की विशेषताएँ लिखिये।
  59. प्रश्न- तंजावुर के मन्दिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- तंजापुर पेंटिंग का परिचय दीजिए।
  61. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग की शैली किस प्रकार की थी?
  62. प्रश्न- तंजावुर कलाकारों का परिचय दीजिए तथा इस शैली पर किसका प्रभाव पड़ा?
  63. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग कहाँ से संबंधित है?
  64. प्रश्न- आधुनिक समय में तंजावुर पेंटिंग का क्या स्वरूप है?
  65. प्रश्न- लघु चित्रकला की तंजावुर शैली पर एक लेख लिखिए।

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